मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 16 April 2014

फूल और दोस्ती



जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  संध्या  !

फूलों से क्या दोस्ती करते हो
फूल सुबह खिलते हैं ,
शाम को मुरझा जाते हैं
दोस्ती करनी है तो ,
काँटों से करो
जो एक बार चुभ कर ,
जिन्दगी भर याद आते हैं !

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