मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 26 October 2012

Good Night


क्षण भंगुर जीवन की कलियाँ ,कल प्रात: काल खिलीं न खिलीं ,
यमराज कुठार लिए फिरता ,तन पर वह चोट झिली न झिली !
क्यों करता है तु कल – कल , कल यह श्वाँस मिली न मिली ,
भज ले प्रभु नाम अरी रसना ,फिर अन्त समय में हिली न हिली !!

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