मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 20 February 2012

शिव और आदिनाथ

 जो छोड़ देता है वह शिव बन जाता है और जिनका
  छुडाया जाता है वह शव बनता है ! कितना फर्क है ?
 शिव और शव मे कितना अंतर है ? एक इ की मात्रा
अंतर है ! यानि लक्ष्मी ! यदि छोड़ दी ,तो शिव बनोगे
और छुडा लिया जाएगा तो शव बन जाओगे !
  मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे

शिव और तीर्थंकर आदिनाथ मे काफी  समानताएँ हैं !
शिव का त्रिशूल ,जैन दर्शन मे सम्यक दर्शन ,सम्यक चरित्र
और सम्यक ज्ञान के रूप मे माना जाता है ,दोनों का मोक्ष
कैलाश पर्वत से ही मानते हैं !  आचर्य मानतुंग जो राजा
भोज के समय हुए उन्होंने तीर्थंकर आदिनाथ की भक्ति करते हुए
भक्तामर स्तोत्र मे लिखा भी है :-
बुद्घस्त्वमेव विबुधार्चित-बुध्दि-बोधात्
त्वं शकंरोऽसि भुवन-त्रय-शकंरत्वात्|
धातासि धीर! शिव-मार्ग-विधेर्विधानात्
व्यक्तं त्वमेव भगवन्तुरुषोत्तमोऽसि || |25|

देव अथवा विद्वानों के द्वारा पूजित ज्ञान वाले होने से
आप ही बुद्ध हैं| तीनों लोकों में शान्ति करने के कारण
आप ही शंकर हैं| हे धीर! मोक्षमार्ग की विधि के करने वाले होने से
आप ही ब्रह्मा हैं| और हे स्वामिन्!
आप ही स्पष्ट रुप से मनुष्यों में उत्तम अथवा नारायण हैं |
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