मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Saturday 12 November 2011

सूरज का उगना याद रहा


सूरज का उगना याद रहा, पर दिन का ढलना भूल गए |
पलकों में सपने मंजिल के, पावों से चलना भूल गए ||
१. गंभीर समस्यायों का सागर, इधर उधर लहराता है |
लहरों के साथ बहे जाते, बाहों से तरना भूल गए ||
२. सुख बांट-बांट भोगा जाता, दुख भोगे सभी अकेले ही |
जीते हैं औरों की खातिर, अस्तित्व स्वयं का भूल गए ||
३. अविराम बही जाती जीवन की, धारा समय धरातल पर |
क्यों भोर भरी दास्तान शांति, समता की लिखना भूल गए ||
४. सब खड़े मौत की लाईन में, कब किसका नंबर आ जाए |
तुम रचा अमरता की मेहंदी, मृत्युंजय बनना भूल गए ||
५. मंदिर-मंदिर में ढूंढ रहे, कब से ज्योतिर्मय इश्वर को |
जीवन मंदिर में सदाचार का, दीप जलाना भूल गए ||
६. जब कल्पवृक्ष बीज और अमृत के कलश पास में हैं |
तब 'कनक' स्वयं की राहों में, क्यों फूल खिलाना भूल गए |
~
साध्वी कनकश्रीजी - पुस्तक " धम्म जागरणा " से
  Contributed by : Sh. Chanchal Bothara ji  in U A E
  Written by :  Saadhvi Kanakshri ji.

6 comments:

  1. om arham
    http://www.facebook.com/pages/Jain-Terapanthi-i-proud-2-be/122850810049?ref=pb

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  2. kaise hai aap @rajesh ji ? Teerthankar blog ko aap likhte rahe... acchaa blog hai .

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  3. हां एक बात और कमेन्ट करते समय इसमें वर्ड वेरिफिकेशन का ऑप्शन हटा ले .. ताकि पाठक सुगमता से अपना मत रख सके !

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  4. om arham, om arham, om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,om arham, om arham,

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  5. Thanx Rajesh Ji..I really like your blog and all blog post..

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